Utkarsh Shinde: बागेश्वर धामचे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ( Baba Bageshwar Dhirendra Krishna Shastri) आपल्या वक्तव्यामुळे कायम चर्चेत असतात. नुकतंच महाकुंभमेळ्यामध्ये झालेल्या चेंगराचेंगरीच्या (Prayagraj Mahakumbh Stampede) दुर्घटनेवर त्यांनी प्रतिक्रिया दिली आहे. "प्रत्येकाला एक दिवस मरणाला सामोरे जायचं आहे. जी व्यक्ती गंगेच्या तीरावर श्वास सोडेल, ती व्यक्ती मरणार नाही, तर, त्यांना मोक्ष मिळेल, असं धीरेंद्र शास्त्री यांनी म्हटलं. त्याच्या या विधानावर मराठी अभिनेता आणि गायक उत्कर्ष शिंदेने संताप व्यक्त केलाय.
उत्कर्ष शिंदेने सोशल मीडियावर एक व्हिडीओ शेअर करत बागेश्वर बाबांच्या वक्तव्यावर कवितेमधून उत्तर दिलं. हिंदी भाषेत ही कविता उत्कर्षने लिहली आहे.
वीआईपी से जाते तुम - घंटों भीड़ में चलते हम
गंगाजी की कुछ बूंदो पर हक्क हमारा भी है ना
ठीक है साहब आप सरकार हो ना. हम तो गरीब जनता हैं ना.
सर पर लिए अपना सामान -हाथ मैं धर कर लाये जान
सोच रहे थे योग मिलेगा लाभ मिलेगा -स्नान करेंगे भाग खुलेगा
क्या पता था घर का बच्चा कुचल कुचलकर आज मरेगा
किस का मरा बाप किसी की माँ देख ये दिल जला
है कई मरे कुतों की मौत -और आप कहे उन्हें मोक्ष मिला है
आपने बोला 15 मरे है- सब सच्च जनता जानगई
आंखो देखा देखने वाले बोले हजारो की है जानगई
फिल्मो में हमने देखा था कुंभ में लोग बिछड़ ते है
ये पर कैसा बिछड़ना है जहां -सामने अपने मरते है
मृत्तक की लाशे नहीं मिलती यहां लोग ढूँढते रहजाते है
गंगा भी न धो पायेगी ऐसा मैल ये रखते है
इनका गर कोई मरजाये क्या तब ये सब ये कह सकते हैं???
गरीब मरा तमाशा बनाया -ना लाश मिली ना उतर पाया??
दिलसे यही दुआ है मेरी कर्म का फल सामने आये
ऐसी मौत आपभी देखो मोक्ष आपको मिल जाए
मार दिया है तुमने इनको लाशे इनकी दोगे ना??
लावारिस से मरतो गाए है घर शव वापस भेजोगे ना ?
इतना पुण्य तो कर ही देनाइतनी भीख तो दे ही देना
बाक़ी आप तो सरकार हैं
हम तो गरीब जनता हैं ना हम तो गरीब जनता हैं ना.