धनदेवता कुबेराचे ‘हे’ एक स्तोत्र म्हणा, शुभ-लाभ मिळवा; अपार धनलाभ, लक्ष्मीची विशेष कृपा!
By ऑनलाइन लोकमत | Published: May 24, 2024 08:53 AM2024-05-24T08:53:22+5:302024-05-24T08:58:31+5:30
Kuber Chalisa Path Benefits: कुबेर पूजन, आराधना, मंत्र-स्तोत्र पठणाचे अनेक फायदे, शुभ लाभ सांगितले जातात. जाणून घ्या...
Kuber Chalisa Path Benefits: भारतात आपापल्या कुळाचार, कुळधर्माप्रमाणे रितीरिवाज, परंपरा यांचे पालन केले जाते. आपापल्या आराध्याचे पूजन, नामस्मरण केले जाते. आराध्याच्या नामस्मरणाने मन चिंतामुक्त, आनंदी, चैतन्यमयी होते, असा अनेकांचा अनुभव आहे. दररोज जगताना अनेक समस्या, अडचणी येत असतात. त्यातून मार्ग काढत माणूस पुढे जात असतो. अशातच आपापल्या आराध्याच्या नामस्मरणाने पाठबळ मिळते, अशी अनेकांची श्रद्धा आहे.
आधुनिक काळात अनेक सोंगे आणता येतात, पण पैशाचे सोंग आणता येत नाही, असे म्हटले जाते आणि ते खरेही आहे. जगण्यासाठी अन्य गोष्टींसह महत्त्वाची गोष्ट आहे ती म्हणजे पैसा. तो असेल, तर अनेक गोष्टी साध्य करता येऊ शकतात. अनेक गोष्टी सुलभ होऊ शकतात. पण पैसा हेच सर्वस्व असेही मानता कामा नये. पैसा अनेक मार्गांनी कमावला जातो. त्यासाठी अथक, खडतर, सातत्यपूर्ण प्रयत्न केले जातात. मात्र, अनेकदा अडचणी, समस्यांतून मार्ग दिसत नाही. अशा वेळेस काही उपाय केले जातात. शास्त्रामध्ये कुबेर देव यांना धनाचा स्वामी मानले गेले आहे. कुबेर देव संपत्ती स्थिर ठेवण्याचे काम करतात, म्हणून जो व्यक्ती कुबेरपूजन करतो. त्याला पैशाची कधीच कमतरता नसते. सर्व भौतिक सुखे मिळतात. व्यक्ती नेहमी आर्थिकदृष्ट्या मजबूत राहते, अशी लोकमान्यता असल्याचे सांगितले जाते. लक्ष्मी देवी आणि धनदेवता कुबेराचे शुभाशिर्वाद प्राप्त व्हावेत, धनलाभ योग वृद्धिंगत व्हावेत, सुखसमृद्धी लाभावी, यासाठी नियमितपणे कुबेर चालिसा पठण करण्याचा सल्ला दिला जातो. कुबेर चालिसा पठण करणे शक्य नसेल, तर श्रवण करावे, असे सांगितले जाते.
कुबेर चालिसा पाठ
दोहा
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥
चौपाई
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे।।
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ा दें। कुबेर गिरे को पुन: उठा दें॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दें। कुबेर भूले को राह बता दें॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दें। भूखे की भूख कुबेर मिटा दें॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दें। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दें॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दें। कारोबार को कुबेर बढ़ा दें॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दें। चोर ठगों से कुबेर बचा दें॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावैं। जो कुबेर को मन में ध्यावैं॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावैं। उसका बेड़ा पार लगावैं॥
उजड़े घर को पुन: बसावैं। शत्रु को भी मित्र बनावैं॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोद पदार्थ पाई।।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर॥
- सदर दाव्यांची पुष्टी केली जात नाही. ही माहिती सामान्य गृहीतके आणि मान्यतांवर आधारित असून, यासंदर्भात तज्ज्ञ व्यक्तींचा सल्ला घेणे उपयुक्त ठरू शकेल, असे सांगितले जात आहे.