शायराना मानसी नाईक
By ऑनलाइन लोकमत | Published: January 11, 2017 03:31 PM2017-01-11T15:31:20+5:302017-01-11T15:31:20+5:30
मराठी तारे-तारका सोशल मीडियावर नेहमीच अॅक्टीव्ह असतात. कोणाला आपल्या नव्या फिल्मचे प्रमोशन करायचे असते तर कोणी ताज्या घडामोडींवर आपले ...
राठी तारे-तारका सोशल मीडियावर नेहमीच अॅक्टीव्ह असतात. कोणाला आपल्या नव्या फिल्मचे प्रमोशन करायचे असते तर कोणी ताज्या घडामोडींवर आपले मत व्यक्त करतात. मानसीही सोशल मीडियावर अशीच अॅक्टीव्ह असते. मात्र तिचा येथील वावर हा शायराना आहे. आपल्या फोटोंसोबत मानसी एकदम सुंदर शेर शेअर करते की नक्कीच तिच्या चाहत्यांना क्या बात अशीच दाद दयावीशी वाटत असणार.
तेरे हुस्न को परदे की जरुरत नहीं है गालिब
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद...
हा प्रसिद्ध शायर मिर्झा गालिब यांचा शेर पोस्ट करताना मानसीने त्यासोबत तिचा फोटोही शेअर केला आहे. अशा शायराना अंदाजात मानसी नेहमीच सोशलसाईट्सवर असते.
मोहब्बत का राझ बताया नही जातानिगाहें समझ लेती है समझाया नही जाता...
निकालो अपना चांद सा चेहरा आगोश-ए-बिस्तर से...
सुबह तरस रही है तेरा दिदार करने को
क़त्ल करती है तुम्हारी एक नज़र हज़ारों का..
ऐसे ना देखा करो हमे.. तुम्हारा एक दीवाना और ख़त्म हो जाएगा...
मुलाकाते बहूत जरुरी है... अगर रिश्ते निभाने है...
वरना लगाकर भूल जाने से तो पौधे भी सूख जाते है...
अगर बिकने पे आ जाओ तो…
घट जाते हैं दाम अक़सर,
न बिकने का इरादा हो…
तो क़ीमत और बढ़ती है.
लगती है कुछ जिद्दी सी, करती है मनमानी, फुलो सी कोमल, तितली सी चंचल, तूम ही कह दो एक नाम तुम्हारा, ओ परीयों की रानी
उनसे नजरे मिलते ही शरमा के झूक जाती है नजरे
जब दिल नही रहता उनको देखें बिना तो
इक बार फिर उन की तरफ उठ जाती है नजर
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमां,
मैं जहां भी जाऊंगा, उसको पता हो जाएगा...
लगती है कुछ जिद्दी सी, करती है मनमानी, फुलो सी कोमल, तितली सी चंचल,
तूम ही कह दो एक नाम तुम्हारा, ओ परीयों की रानी
बंद होठोंसे कुछ न कह कर.. आँखो से प्यार जताती हो..
जब भी आती हो हमे हम से ही चूरा के ले जाती हो..
सोच कर रखना हमारी सल्तनत में कदम,
हमारी मोहब्बत की कैद में जमानत नही होत
तेरे हुस्न को परदे की जरुरत नहीं है गालिब
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद...
हा प्रसिद्ध शायर मिर्झा गालिब यांचा शेर पोस्ट करताना मानसीने त्यासोबत तिचा फोटोही शेअर केला आहे. अशा शायराना अंदाजात मानसी नेहमीच सोशलसाईट्सवर असते.
मोहब्बत का राझ बताया नही जातानिगाहें समझ लेती है समझाया नही जाता...
निकालो अपना चांद सा चेहरा आगोश-ए-बिस्तर से...
सुबह तरस रही है तेरा दिदार करने को
क़त्ल करती है तुम्हारी एक नज़र हज़ारों का..
ऐसे ना देखा करो हमे.. तुम्हारा एक दीवाना और ख़त्म हो जाएगा...
मुलाकाते बहूत जरुरी है... अगर रिश्ते निभाने है...
वरना लगाकर भूल जाने से तो पौधे भी सूख जाते है...
अगर बिकने पे आ जाओ तो…
घट जाते हैं दाम अक़सर,
न बिकने का इरादा हो…
तो क़ीमत और बढ़ती है.
लगती है कुछ जिद्दी सी, करती है मनमानी, फुलो सी कोमल, तितली सी चंचल, तूम ही कह दो एक नाम तुम्हारा, ओ परीयों की रानी
उनसे नजरे मिलते ही शरमा के झूक जाती है नजरे
जब दिल नही रहता उनको देखें बिना तो
इक बार फिर उन की तरफ उठ जाती है नजर
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुशबू, ज़मीन-ओ-आसमां,
मैं जहां भी जाऊंगा, उसको पता हो जाएगा...
लगती है कुछ जिद्दी सी, करती है मनमानी, फुलो सी कोमल, तितली सी चंचल,
तूम ही कह दो एक नाम तुम्हारा, ओ परीयों की रानी
बंद होठोंसे कुछ न कह कर.. आँखो से प्यार जताती हो..
जब भी आती हो हमे हम से ही चूरा के ले जाती हो..
सोच कर रखना हमारी सल्तनत में कदम,
हमारी मोहब्बत की कैद में जमानत नही होत