योगेश मेहेंदळे, ऑनलाइन लोकमत
रिओ दी जानेरो
मंचपर विराजमान सारे वरीष्ठ महानुभाव और मेरे सारे खिलाडू भाईयो और बहनोंको मै शतश: नमन करता हूँ, उनका अभिनंदन करता हूँ. 200 से ज्यादा देशोंके हज्जारो खिलाडी खेलके इस त्योहारमे शामिल हुए है, ये अपने आपमे एक बडी गौरव की बात है. आज ये दुनिया टेररिझमसे ले करके आर्थिक मंदीकी शिकार हुई है. लेकिन फिर भी सब कठिनाईंयोंका सामना करके आप सबने ऑलिम्पिक की शान के लिये जो कष्ट झेले है, उसके लिये मै आप सबका अभिनंदन करता हूँ, आपका सम्मान करता हूँ.
आप कोई न कोई खेल खेलते हो, और उस खेलमे ऑलिम्पिकमे मेडल जितने की कामना रखते हो, विश्व मे सबसे अव्वल सिद्ध करने की ख्वाईश रखते हो. लेकिन मेरी नजर मे ऑलिम्पिक सिर्फ इतना नही है. मेरा मानना है की ऑलिम्पिक का उद्देश, उसकी चेतना सिर्फ मेडल जितनेसे बहुत ज्यादा गहरी है, कई ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.
OLYMPIC का... O है ओबेसिटी के लिए...
ये मोटापन के खिलाफ एक जंग है, आज विश्वमें ओबेसिटी एक बडी समस्या बनकरके उभरी है. जितने आदमी भूख से नही मरते, उससे कई गुना आदमी मोटापनसे मरते है. इस खिलाडुंओंसे खचाखच भरे मैदान मे शायदही कोई ऐसा होगा जिसे मोटा कहा जायेगा. वो पहेलवान जरूर होगा, लेकीन मोटा नही होगा... ये सब खेल कसरत का महत्त्व बताते है और मोटेपन को परास्त करने की स्फूर्ती देते है.
L है लेथार्जी के लिये...
आज विश्वभरकी दुसरी समस्या है, बच्चे मोबाईल और कम्प्युटर को चिपके हुए है. उनको मैदानी खेलमे भाग लेनेका उत्साह नही है. उस लेथार्जी के खिलाफ ये ऑलिम्पिक एक बडी जंग छेड रहा है. बच्चोंको पोकेमॉन गो बजाय, उठो मॅन... गो टू ग्राउंड की ललकार दे रहा है.
Y है यस्टरडे के लिए...
ये भूतकाल में पडे रहने के खिलाफ ऐलान है. यहाँ मौजूद हर खिलाडी जिंदगी में कभी ना कभी हारा होगा. लेकिन वो उस हार को, उस कल को भूलकर नए ताकद से, नये सपने के साथ उभर पडा और सबको पिछे छोड के आज यहाँतक पहुँचा है. भगवान ने हमे, आँखे आगे दी है, पिछे नही. क्योकी आप आनेवाला कल देखो, बिता हुआ नही. इसका रोज के जीवन मे कोई पालन करता है तो वो आप है.
M है मशिन के लिये...
महात्मा गांधी मशिन के खिलाफ थे. वो चाहते थे की जो काम आदमी के हाथ कर सकते है वो मशिनसे क्यू करे. और आप देख सकते है, दौडने की स्पर्धा हो या तैरने की, हॉकी हो या बास्केट बॉल, टेनीस हो या बॅडमिंटन हर खेल में आदमी के पुरूषार्थ को ललकारा गया है, आदमी के अंदरोनी शक्ती को बाहर लाया गया है. मेरा मानना है, की इस ऑलिम्पिक मे शामिल हर खिलाडी उपरवालेंने दिए हुए इस शरीर का बेहतरीन इस्तेमाल करने का और हो सके उतना मशिन का उपयोग कम करने का संदेश देता है.
P है फोबिया के लिये...
हर आदमी आज डर के मारे मर मर के जी रहा है. और यहाँ देखिए, छोटी छोटी उमरसे दिनरात खेलमें उच्चतम सीडीया पार करने वाले सब खिलाडी, अगर सबसे पहले किसपर मात करते है तो डरपर. जब डर पर विजय प्राप्त कर सको तो ही आप इस मकाम तक पहुँच सकते हो. मै मानता हूँ की ये किसी भी फोबिया के खिलाफ जंग है.
I है इनडिसिसिव्हनेस के लिये.
इस दुनिया मे हारनेवाले ज्यादातर लोग इसलिये हारते है की वो निर्णय ही नही ले पाते की करना क्या है... इस महाखेलके मेले मे शामिल हर प्रतियोगी सिखाता है की तुम निर्णय करो और आगे बढो, मकाम अच्छाही होगा... ये जंग है इनडिसिसिव्हनेस के खिलाफ.
C है कार्बन डाय ऑक्साईड के लिये...
आज विश्व की समस्या है पोल्यूशन. प्रतिवर्ष इस पृथ्वीकी कार्बन डाय ऑक्साईड बढती जा रही है और पर्यावरणप्रेमी बडी चिंता मे है. आप देख सकते है, इस ऑलिम्पिक के विशाल कार्यक्रममे एक भी ऐसा खेल नही है, जो इस पृथ्वी माँ को और गंदा करे, उसकी हवा को और जहरीला बनाए.
इसिलिए, मै मानता हूँ की ये ऑलिम्पिक सिर्फ एक खेल का संग्राम नही है. ये जंग है ओबेसिटी के खिलाफ,लेथार्जी के खिलाफ, मशिन के खिलाफ, फोबिया के खिलाफ, इनडिसिसिव्हनेस के खिलाफ और मेरे खिलाडी मित्रों कार्बन डाय ऑक्साईड के खिलाफ.
मै यहाँ आप से और एक मन की बात कहना चाहता हूँ.
मेरी राजनैतिक जीवन मे, मुझे सुनने के लिये दुनिया मे कही भी जाऊ तो लाखो लोक आते है. ये पहली बार हुआ है, की मै बने बनाये भीड को सम्बोधित कर रहा हूँ . मेरा मानना है की ऑलिम्पिक कि ये अपने आप मे एक उपलब्धी है, अभिनंदन करने की बात है.
मुझे पुछा गया था, आपका ऑलिम्पिक से क्या संबंध है, आप क्या समानता रखते हो खेल के साथ. मै उनको बताना चाहता हूँ, मेरे व्हिजन से अगर तालमेल रखने वाली कोई चीज दुनिया मे है तो वो ऑलिम्पिक है. क्योकी आप वो है जो अपने अपने खेल मे चरमतम सीमा पर पहुचने की जिद रखते हो और उसे पाने के लिये दिनरात मेहनत करते हो, वो भी कई साल करते हो. कुछ सालोंसे दहशतवाद का साया विश्वपर छाया हुआ है और इस ऑलिम्पिक को भी लक्ष्य किया जा सकता है ऐसा धोका नजर आया था.... लेकिन मेरे खिलाडी भाईयो और बहनो आपने यह साबित किया है, की गोली, बम और बारूद की आवाज में बात नही हो सकती, लेकिन खेल तो सकते है....
और इसिलिये आप सब महानुभावोंने टेरर अटॅक की संभावना को चुनौती नही मोका माना, की आप ये दिखा सके, अगर 200 देश एकसाथ खेलने के लिये आ सकते है, तो दुनिया की कोई ताकत उन्हे रोक नही सकती. और इसलिए आप सब अभिनंदन के पात्र है.
सूर्यनमस्कार को ऑलिम्पिक मे स्थान मिले
ऑलिम्पिक कमिटी को मेरा एक सुझाव है, आप उसके उपर जरूर विचारविमर्ष करे. मै चाहता हूँ की सूर्यनमस्कार को ऑलिम्पिकमे स्थान मिले. सूर्यनमस्कार का एक वैशिष्ट्य है की गरीब से गरीब घर का बच्चा भी इसमे हिस्सा ले सकता है. जिसके पास एअर गन लेने के लिये पैसे नही है, स्विमिंग टँक की फी जो भर नही सकता या हॉकी, टेनीस जैसे खेल वो आर्थिक परिस्थिती के कारण खेल नही पाता, वेट लिफ्टर या कुश्ती खेलने कि लिये जो चाहिये उतना पोषण आहार वो ले नही सकता, वो सूर्यनमस्कारमे जरूर हिस्सा ले सकता है. चाहे सोमालिया के मेरे गरीब भाईंयो के बेटे बेटिया हो, या अमेरिका के गन्ने के खेत मे खप रहे मेरे मेक्सिकन भाईंयो के बच्चे हो या ईशान्य भारत के पहाडियो मे बसे मेरे आदिवासी भाईयो के बच्चे हो... इस दुनिया का गरीब से गरीब घर का बच्चा सूर्यनमस्कार मे हिस्सा ले सकता है और ऑलिम्पिक मे मेडल जितने की कामना रख सकता है.
सिर्फ एक वक्त की रोटी का ख्वाब देखने वाले मेरे गरीब भाईंयो को क्यू न इस महाखेल मे शामिल करे, क्यू न उनकी जिंदगी मे, आशा का एक बीज बोए.
आपको शायद पता नही होगा ऐसे बडे खेलो के आयोजन कि परम्परा भारत मी हजारो सालोंसें है. कुश्ती हुआ करती थी, तलवार बाजी हुआ करती थी, शादी रचाने के लिये तिरंदाजी हुआ करती थी. हमारे पुरखोने खेल को मैदान मे सीमित नही रखा, उसको सीधा रोज कि जिंदगी से जोड दिया. क्यू न हम इसी तरह से अलग अलग खेल ढुंडे.
अगर हम गरीब को बल दे, तो दुनिया के 350 करोड से जादा गरीब इतने खेल देगा कि जब पहिला ओलिम्पिक खत्म होगा तब लोग दुसरे कि तयारी मे लगे होंगे.
और इसलिये मै आपसे आग्रह करता हूँ, कि आपकी समिती, दुनियाभर मे फैले 350 करोड गरीबो कि सोचे और इस विशाल उपक्रम को और आगे बढाए.
धन्यवाद... बहुत बहुत धन्यवाद!